Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, January 24, 2010

आपके लिए

 मेरा दर्द मुझे जीने नहीं देगा
तेरी याद मुझे मरने नहीं देगी

ज़माना बड़ा ज़ालिम है ए दोस्त

आज अगर हम नहीं मिले

कल ये दुनियाँ हमे मिलने नहीं देगी

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तेरी बेवफाई का गिला मैं किस से करूँ

ज़माना बेवफ़ा है

अब तो गिला है मुझे

अपनी ही वफ़ा पर
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यूँ तो तुमसे विछोह हुए एक युग बीत चला है

फिर भी नयन-नत तुम्हारी छवि मेरे नैनों में बसी है

लगता है तुम्हारी मधुर हँसी की खनक

मेरे कानों ने अभी-अभी सुनी है
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बधाई पत्रों में सिमट के रह गए

हमारे रिश्ते

कभी थे हर पल के अब वार्षिक हैं

हमारे रिश्ते

होठों पे मुस्कान चिपकाए ढोने पड़ रहे

कितने भारी हो गए

हमारे रिश्ते

सहारे लेकर नातों का मत पींग बढ़ाना

सुनते हैं बड़े कमजोर हैं

हमारे रिश्ते

तुम्हें कोई नाम,कोई संबोधन नहीं मिला तो क्या

कुछ न हो कर भी सब कुछ थे

हमारे रिश्ते

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